मैंने पलकों को बिछाया है
मैंने पलकों को बिछाया है तेरी राहों में
कुछ देर ठहर भी जाओ मेरी निगाहों में
मुझे शौक़ था मैंने जान छिड़क दी तुम पर
तुम चाहो तो गिन लो इसे गुनाहों में
तुम्हारे प्यार की बारिश में भीगकर पलभर
क्या भला ढूढूँगा मैं घटाओं में
बहारों! मुझे अब तुम्हारी ख्वाहिश नहीं
हर रंग मैंने देखा उनकी अदाओं में