मैंने देखा है
मैंने देखा है
आसमान से टूटते तारों को,
तू अकेला नहीं है,
जो हार गया हो।
मैंने देखा है हारते हुए
सिर्फ एक को नहीं, हजारों को।
वह योद्धा नहीं हो सकता,
जो दुश्मन को देख
धरती की ओर झुक जाए।
मैंने देखा है,
अपने शरीर को दांव पर लगाकर,
दुश्मन से लड़ते हुए
भारत मां के प्यारों को।
बिंदेश कुमार झा