“मैंने दिल तुझको दिया”
🌹”मैंने दिल तुझको दिया”🌹
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तीरे नयन से तूने जो इतना घायल किया,
ऑंखोंं से कुछ कहके नित पागल किया ,
इस ठहरे हुए दिल में कुछ हलचल किया,
तभी अपना ये दिल, मैंने तुझको ही दिया।
संजोया था जो अरमाॅं वो तुझमें ही दिखा,
मेरे ख़्वाबों का मंज़िल तेरा दिल ही दिखा,
महज़ संयोग कहें या भाग्य का ही लिखा,
तभी अपना ये दिल, मैंने तुझको ही दिया।
तुझमें दिखा मुझे, इक स्वप्निल सा संसार ,
फिदा होके तुझपे, देख तेरा सोलह श्रृंगार,
सोचा तुझपे ही क्यों न करूॅं ये जाॅं-निसार,
तभी अपना ये दिल, मैंने तुझको ही दिया।
सारे रस्मो-रिवाज़, तेरे संग ही निभाने को ,
तुझपे एक सुंदर सा ग़ज़ल लिख जाने को,
तेरी खुशबू से महकती बगिया सजाने को ,
जहाॅं से ढूॅंढ़कर तुझे,मैंने दिल तुझको दिया।
( स्वरचित एवं मौलिक )
© अजित कुमार “कर्ण” ✍️
~ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक :- 20 / 03 / 2022.
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