मैंने तुम्हें इतना चाहा
मैंने तुम्हें इतना चाहा
जितना रात सवेरा चाहती है
मैंने तुम्हें इतना चाहा
जितना सर्दी धूप चाहती है
मैंने तुम्हें इतना चाहा
जितना समंदर पानी चाहता है
मैंने तुम्हें इतना चाहा
जितना तपती धूप में कोई साया चाहता है
मैंने तुम्हें इतना चाहा
जितना आख़िरी साँस जीना चाहती है
मैंने तुम्हें इतना चाहा
जितना घटा बरसना चाहती है
मैंने तुम्हें इतना चाहा
जितना कली खिलना चाहती है
मैंने तुम्हें इतना चाहा
जितना जुगनू अंधेरा चाहता है
मैंने तुम्हें इतना चाहा ‘अर्श’
जितना सूरज चमकना चाहता है