मैंने तुमको याद किया….
कितनी रातें नींद उड़ाकर मैंने तुमको याद किया
स्मृतियों की बस्ती बसाकर मैंने दिल आबाद किया
तसव्वुर में छवि आँक तुम्हारी सोई तुमको अंक लगाकर
मन से मन के तार जोड़कर मन ही मन संवाद किया
सलामती को मैंने तुम्हारी रब से माँगी दुआएँ
उसके दर तक मन से निकली पहुँचें मेरी सदाएँ
सुखी रहो खुशहाल रहो तुम जियो हजारों साल
बाल भी बाँका हो न तुम्हारा दूर हों सारी बुरी बलाएँ
– © सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
“मनके मेरे मन के” से