मैंने छोड़ दिया सपनों के महल बनाना
कोई ख्वाहिश तो पूरी
होती नहीं तो
मैंने फिर छोड़ ही दिया
सपनों के महल बनाना
अब जिन्दगी जो देगी
सहजता से
स्वीकार कर लेंगे
इस दुनिया में रहकर
बादशाह बनूं या फिर
कोई फकीर
क्या फर्क पड़ता है
कुछ वक्त यहां गुजारकर
यहां से आखिरकार
एक न एक दिन तो है
सबको जाना।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001