Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2021 · 1 min read

मैंने खुद को बदलते भी देखा है

मैंने खुद को बदलते भी देखा है
गिरते और सम्भलते भी देखा है
फिसलते और फिर चलते भी देखा है
बिखरते और सिमटते भी देखा है
खुद को समझने की लिप्सा(चाहत) से
मैंने खुद को निगलते भी देखा है…..

कच्चा हूँ अभी भी मैं,पर पकते भी देखा है
भला हूँ या बुरा,इस द्वंद में उलझते भी देखा है
सुलझाऊं इस उलझन को जल्द ही मैं
मैंने खुद को ये कहते भी देखा है
चलता रहेगा यूँ ही, ये खुद को खंगालने का दौर
‘होगा’ ‘मिलेगा’ वही सब कुछ ‘मंजुल’
जो किस्मत और कर्मों का लेखा है
मैंने खुद को बदलते भी देखा है।।।

©®।।मंजुल ।।©®

Language: Hindi
1 Like · 542 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक हिम्मत, एक उम्मीद जगानी है,
एक हिम्मत, एक उम्मीद जगानी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सुनो विद्यार्थियों! पुस्तक उठा लो।
सुनो विद्यार्थियों! पुस्तक उठा लो।
भगवती पारीक 'मनु'
गर्मी और नानी का घर
गर्मी और नानी का घर
अमित
ENDLESS THEME
ENDLESS THEME
Satees Gond
" यह सावन की रीत "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
उन्नति का जन्मदिन
उन्नति का जन्मदिन
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
" गौर से "
Dr. Kishan tandon kranti
बग़ावत की लहर कैसे.?
बग़ावत की लहर कैसे.?
पंकज परिंदा
करूण संवेदना
करूण संवेदना
Ritu Asooja
Reliable Movers and Packers in Hyderabad
Reliable Movers and Packers in Hyderabad
Shiftme
राधा कृष्ण
राधा कृष्ण
रुपेश कुमार
जीवन तब विराम
जीवन तब विराम
Dr fauzia Naseem shad
"शौर्य"
Lohit Tamta
"दावतें" छोड़ चुके हैं,
*प्रणय*
हिन्दी दोहा बिषय-जगत
हिन्दी दोहा बिषय-जगत
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
लो फिर गर्मी लौट आई है
लो फिर गर्मी लौट आई है
VINOD CHAUHAN
**हाल मेरे देश का मंदा है दोस्तों**
**हाल मेरे देश का मंदा है दोस्तों**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"सफलता कुछ करने या कुछ पाने में नहीं बल्कि अपनी सम्भावनाओं क
पूर्वार्थ
जल रहे अज्ञान बनकर, कहेें मैं शुभ सीख हूँ
जल रहे अज्ञान बनकर, कहेें मैं शुभ सीख हूँ
Pt. Brajesh Kumar Nayak
*मारा नरकासुर गया, छाया जग-आह्लाद (कुंडलिया)*
*मारा नरकासुर गया, छाया जग-आह्लाद (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ज़ब तक धर्मों मे पाप धोने की व्यवस्था है
ज़ब तक धर्मों मे पाप धोने की व्यवस्था है
शेखर सिंह
ग़ज़ल _ बादल घुमड़ के आते , ⛈️
ग़ज़ल _ बादल घुमड़ के आते , ⛈️
Neelofar Khan
अहंकार और अधंकार दोनों तब बहुत गहरा हो जाता है जब प्राकृतिक
अहंकार और अधंकार दोनों तब बहुत गहरा हो जाता है जब प्राकृतिक
Rj Anand Prajapati
होली पर
होली पर
Dr.Pratibha Prakash
नस-नस में तू है तुझको भुलाएँ भी किस तरह
नस-नस में तू है तुझको भुलाएँ भी किस तरह
Dr Archana Gupta
है धरा पर पाप का हर अभिश्राप बाकी!
है धरा पर पाप का हर अभिश्राप बाकी!
Bodhisatva kastooriya
बधाई हो बधाई, नये साल की बधाई
बधाई हो बधाई, नये साल की बधाई
gurudeenverma198
यह ज़िंदगी गुज़र गई
यह ज़िंदगी गुज़र गई
Manju Saxena
नास्तिक किसे कहते हैं...
नास्तिक किसे कहते हैं...
ओंकार मिश्र
3172.*पूर्णिका*
3172.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...