मैंने आईने में जब भी ख़ुद को निहारा है
मैंने आईने में जब भी ख़ुद को निहारा है
उतनी दफा मैंने तुझ को पुकारा है
अग़्यारों के बीच असफ़ार में रह कर
तेरी जूस्तजू मैं मैंने दिन अपना गुज़ारा है
मैंने आईने में जब भी ख़ुद को निहारा है
उतनी दफा मैंने तुझ को पुकारा है
अग़्यारों के बीच असफ़ार में रह कर
तेरी जूस्तजू मैं मैंने दिन अपना गुज़ारा है