मैं’तिरंगा’
मैं ‘तिरंगा’
मैं ‘तिरंगा’ प्रतीक तुम्हारे शान की
तुम न मेरा अपमान करो
बांटकर मेरे रंगों को अलग-अलग
धूमिल न मेरा मान करो।
मेरे खातिर वीर जो हुए कुर्बान
बस उसका ही भान करो
बड़ी मुश्किल से मिली है आजादी
आजादी का सम्मान करो।
आपसी बैर भाव सब भूलकर
एकता का आधान करो
निज स्वार्थ से ऊपर है देशहित
मिलकर ये आह्वान करो।
धूमिल न होने पाए रंग मेरा कभी
इतना ही एहसान करो
मैं ‘तिरंगा’ सदा लहराता रहूँगा
तुम वतन का जयगान करो।
©️रानी सिंह