मेहमान
मेहमान
मेहमान बनकर आया था ..
वो एक दिन घर मेरे
बड़े प्यार से अभिवादन
किया था उसका हमने
सोचा था भगवान कृष्ण
आये है सुदामा की कुटी में
दर्शन देकर चले जाएँगे
सप्ताह बीत गया है देखो ,
दिन गिनते – गिनते
काँप रहा है बटुआ मेरा
खर्चे गिनते -गिनते
न परोसने को व्यंजन है
न ही मन में कोई उमंग
क्या अब सुनोगे तुम
जब हम कहेंगे
गैट आउट , मेरे अतिथि , न करो
हम पर इतना जुर्म