मेहमान रात के
ग़ज़ल
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छाँट छाँटकर चुने मेहमान रात के।
आफ ताब से बुने मेहमान रात के।
दीप की चमक लिए जुगनु है दमक रहा-
मोतियों के झुनझुने मेहमान रात के।
आसमां की जुल्फ पर मोगरे लटक रहे-
हीरकों की हैं धुनें मेहमान रात के।
चाँद गीत रहा प्रेम और प्यार के-
राग हैं सुने सुने मेहमान रात के।
देख रूप रात का शीत भी ठहर गई-
धूप से हैं गुन गुने मेहमान रात के।
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