मेहनत ने हर इँसान को हीरा बना दिया।
गज़ल
221…….2121……..1221…….212
मेहनत ने हर इँसान को हीरा बना दिया।
दौलत ने आदमी को निकम्मा बना दिया।
रिश्वत ठगी व चोरी से मर मर के जी रहे,
लालच ने भी इँसान को अंधा बना दिया।
ये प्यार दो दिलों का मिलन है नहीं तो क्या,
दुनियां ने प्यार को भी तमाशा बना दिया।
उम्मीद जो लगाए थे इक रोजगार की।
उनका यही खयाल हताशा बना दिया।
प्रेमी जो प्यार में तेरे पागल रहे सदा,
उनकी ही जिंदगी का जनाजा बना दिया।
…….✍️ प्रेमी