मेहनत के दिन हमको , बड़े याद आते हैं !
मेहनत के दिन हमको ,
बड़े याद आते हैं।
संघर्ष के दिन हमको ,
नित आगे बढ़ाते हैं।
जब-जब जिन्दगीं में,
आगे बढ़ते जाते है।
कुछ पाते हैं नया,
कुछ खोते जाते हैं।
जीवन के दोराहे पर,
जब फंस जाते है।
चुनना एक को होता,
हमको दोनो भाते हैं।
परिश्रम करते करते,
जब थक जाते हैं।
उम्मीदों के जैसे,
परिणाम न आते है।
माँ की ममता के जब,
अर्थ समझ आते हैं।
पापा के कड़वे बचन,
मीठे लगने लग जाते है।
हम जो-जो चाहते हैं,
वो सब पा जाते है।
‘दीप’ को उजाले सदा,
तम की याद दिलाते हैं।
-जारी
-©कुलदीप मिश्रा
©सर्वाधिकार सुरक्षित
आपको ये काव्य रचना कैसी लगी कमेंट के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें।आपके द्वारा की गई मेरी बोद्धिक संपदा की समीक्षा ही मुझे और भी लिखने के लिए प्रेरित करती है, प्रोत्साहित करती है।