मेहनत का फल (शिक्षाप्रद कहानी)
एक शहर में एक विद्यालय रहता है जो कि शहर के प्रमुख विद्यालयों में से एक माना जाता है इस विद्यालय में लगभग हजारों की संख्या में बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे है । बहुत सारे बच्चे विद्यालय से निकल भी गए और अपनी बेहतर जिंदगी जी रहे है। कुछ सरकारी जॉब में उच्च पद पर हैं, कुछ प्राइवेट जॉब में, कुछ बिजनेस कर रहे हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जो जैसे तैसे अपना जीवन यापन कर रहे हैं शहर में विद्यालय का काफी बड़ा नाम है ।
यह कहानी दो सहपाठी की है जो कि उसी विद्यालय में कक्षा आठवीं में पढाई करता है राम और श्याम । राम कक्षा का मेधावी छात्र है और श्याम अपने नाम की ही तरह कक्षा में औसत से भी कम स्कोर करने वाला विद्यार्थी है ।
राम मेधावी छात्र होने के कारण उसका कक्षा में अच्छा खासा बनता है उसके बहुत सारे मित्र हैं, कई मित्र इसलिए भी हैं कि वह कक्षा में पढ़ाई थोड़ा कम और शैतानी किया करता है बदले में वह रात को और सुबह सवेरे उठकर पढ़ाई कर लेता है इस मामले में वह बड़ा ही तेजस्वी है और इधर श्याम कक्षा में पढ़ाई के वक्त ध्यान देता पर उतना इसे समझ नहीं आता, रात को थोड़ा बहुत पढ़ाई करता फिर सो जाता है शायद इसलिए परीक्षा में वह औसत नंबर से भी कम स्कोर कर पाता है । अतः कई बच्चे इस मामले में उसका मजाक भी उड़ाते हैं ।
श्याम का मजाक उड़ाया जाता उसके कक्षा के परिणाम के कारण, श्याम अब पहले से ज्यादा मेहनत करने लगा और राम कक्षा में अव्वल आता रहा । इसी प्रकार समय बीता और 10वीं की बोर्ड परीक्षा हुई जिसमें राम सबसे अव्वल आया और श्याम औसत नंबर से दसवीं कक्षा उत्तीर्ण की ।
एक दिन किसी कारणवश राम और श्याम में झगड़ा हो गई । इस बार राम और उसके मित्रों द्वारा श्याम का भारी मजाक उड़ाया जाता है जोकि श्याम के हृदय में चुभ जाती है अब श्याम ने बदला लेने की सोची
ऐसा कहा जाता है
दुनिया की ज्यादातर बड़ी जंग बदला लेने के लिए ही हुई
अब श्याम कड़ी मेहनत कर राम से आगे निकलना चाहता है और इधर राम का मन इस सांसारिक मोह माया में पड़ जाता है अक्सर इसका परिणाम होता है समय की बर्बादी जो कि बाद में इसका महत्व समझ में आता है समय बीता, कुछ समय बाद राम को लगा मैं त्रुटिपूर्ण राह पर चल रहा हूं फिर इसे त्यागा और पढ़ाई में लग गया अब उसे पढ़ाई में पहले इतना मन नहीं लगता है उधर श्याम कड़ी मेहनत करता रहता है ।
समय बीता फिर 12वीं की परीक्षा हुई इस बार श्याम सबसे आगे ही नहीं बल्कि जिला में प्रथम स्थान प्राप्त किया और राम का नाम विद्यालय में तीसरा स्थान तक भी नहीं आया। इस बार राम दुखी होता है और श्याम बहुत ही प्रसन्न।
अब दोनों विद्यालय से निकल गए और दोनों अपना-अपना फील्ड चुनकर कड़ी मेहनत कर आगे बढ़ने लगे ।
समय बीता कई साले बीती, अब राम कड़ी मेहनत कर मिलिट्री ऑफिसर बन गया और उसके कुछ वर्षों बाद श्याम देश का राष्ट्रपति बन जाता है जो कि देश के तीनों सेनाओं का प्रमुख होता है ।
शिक्षा:- हमें कभी भी किसी की स्थिति परिस्थिति देखकर मजाक नहीं उड़ाना चाहिए, समय बदलते देर नहीं लगती । जरूरी नहीं है आज जो आप से पीछे है वह कल आपसे आगे नहीं आ सकता और हमें इस सांसारिक मोह माया को छोड़ अपने लक्ष्य के लिए संघर्ष करते रहना चाहिए क्योंकि परिणाम देर से ही सही, पर मिलती जरूर है ।
कवि & लेखक :- अमरेश कुमार वर्मा
यहां तक ध्यानपूर्वक पढ़ने के लिए हृदय तल से धन्यवाद
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