मेहंदी
मेहंदी मुक्तक
मेहंदी प्रतीक प्रीत का, प्रियतम की सौगात है।
है जनम जनम का बंधन तुमसे, नहीं बस सात हैं।
मेहंदी रची मेरी हथेलियां, रंगी प्रियतम रंग,
खिली उर की कली,प्रिया मन उमड़ रहे, जजबात हैं।
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महक उठी मेहंदी हाथ की,याद तुम्हारी आई।
चमकती माथे पर बिंदिया, गालों छाईं अरुणाई।
शाम सिंदुरी महक उठी, तेरे आने की आहट से,
तुम मीत, गीत मेरे जीवन का, गूंज उठी शहनाई।
नीलम शर्मा