मेरे हाल से बेखबर
पीछे छूट गया कितना कुछ
अब आगे की क्या खबर,
खड़ी हूँ आज दोराहे पर
किसी को इसकी क्या खबर,
दे रहा है वो खुशियाँ किसी और
बदल ली उसने अपनी डगर,
हम भी तो उसी के थे
उसने ही हमें अपना बनाया
क्या उसे नहीं इस बात की खबर,
छीनकर मेरी हर खुशी,
अब खुश है वो किसी को देकर,
जिसपर सिर्फ मेरा अधिकार है
उसकी ज़िंदगी सिर्फ मैं हूँ,
कभी कहा था उसने
मुझे इस कदर।
आखिर क्यूँ छीन ली मेरी हर खुशी उसने,
क्या अब वो खुश है,
मुझे ऐसे रोते देख दरबद।र
आज करना है उससे एक सवाल
आखिर ऐसे करना था तूने मेरे साथ,
तो रहने ह देते प्यार से बेखबर।
उसके पीछे रो रोकर खुद ही गँवा ली
अपनी नज़रों में मैंने अपनी कदर।
कितना सच्चा था हम दोनों का प्यार,
आखिर किसकी लगी इस रिश्ते को नज़र।
आखिर क्यूँ है तू मेरे हाल से बेखबर,