मेरे हाथ में जो तेरा हाथ हो
$ मेरी पहली रूमानी कविता $
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जो मेरे हाथ मे तेरा हाथ हो
सारी दौलत ही समझो मेरे पास हो
कितनी राते गयी बात स्वप्न तक टिकी
मिल जाए मुझे हकीकत की बात हो
सारी दुनिया मेरी खुशियो से खिल उठे
जो मेरे हाथ मे तेरा हाथ हो
गीत महके मेरा वासित हो सभी
खुशियां से प्रमुदित मेरा गात हो
यदि मेरे हाथ मे तेरा हाथ हो
सारी जन्नत ही समझो मेरे पास हो
मौसम का कोई असर ही नही
बे मौसम ही समझो मधुमास हो
मेरे हाथ मे जो तेरा हाथ हो
साथी समझो कुछ यूं दूर संताप हो
जीवन खिले सुख की वरसात हो
यदि मेरे हाथ मे तेरा हाथ हो
सारी खुशियां मिले हर्षप्रद बात हो
विन्ध्यप्रकाश मिश्र