” मेरे हमदर्द “
ये बादल , मौसम , पंछी और ये हवाएं
पता नहीं कैसा रिश्ता है ये निभाती है ।
जब भी मेरी आंखें नम हो जाती है ,
ये बारिश की बूंदें इन्हें अपने साथ बहा कर ले जाती है ।
ये हवाओं के झोंके बड़ी ममता के साथ
गले लगा कर ,
पल भर में होंठों पर मुस्कान दे जाती है ।
हर मोड़ पर मेरा ये ,
अपना सा साथ निभाती है ।
हर बार मुझसे मिलने ,
एक नए अंदाज में आती है ।
अपनी अदाओं से ,
मुझमें एक नई ज्योति को जगाती है ।
कोई मेरी साथ हो ना हो ,
ये मेरे लिए ही इस धरती पर आती है ।
– ज्योति