मेरे स्वर संगम सँग वीणा अंतरमन ने ( गीत) जितेंद्रकमलआनंद
मेरे स्वर संगम सँग वीणा अन्तर्मन ने आज बजायी ।
तेरे अंतस के पृष्ठों पर स्वर्णिम- स्वर्णिम पावन अपने ।
लिखे गीत गाऊँ हरषाऊँ,सतरंगी दृग – सम्मुख सपने ।
देख- देख ऋतुराज मदन को कूक उठी कोयल अमराई ।
मेरे स्वर – संगम सँग वीणा अंतरमन ने आज बजायी।।
— जितेंद्र कमल आनंद रामपुर ३०-४-१७