मेरे स्वर जब तेरे कर्ण तक आए होंगे…
मेरे स्वर जब तेरे कर्ण तक आए होंगे…
तुमने भी अभ्युदय गीत गाए होंगे।
इसी आस में हमने उस पर गीत लिखे
सुनकर वो दो बोल तो दुहराए होंगे।
अनुभूतियों के अपयश को मत गाओ…
जब भी मैं सच कह दूं तुम भी दोहराओ
बहुत जटिल है कवि हृदय का कविता होना
आंसू के धाराओं का सरिता होना।
बाकि क्या आशाएं ले सकती प्रवाह
तुमने कागज की नैया तैराए होंगे।
कुछ कवियों ने छंद लिखे स्वच्छंद हृदय से….
कुछ ने तो क़िरदार गढ़े मकरंद हृदय से।
कुछ ने अपयश प्राप्त वीर को सूर्य कहा
जिनने है मर्यादाओ का कष्ट सहा
विप्लव की आशा है कविता का होना
तुमने भी मेरी बातें दुहराए होंगे।
दीपक झा रुद्रा