मेरे साथ मेरा स्वाभिमान
सुना है कि अब तुम पत्रकार भी हो गए हो
ना समझ था पहले अब बदतमीज भी हो गए हो।
बहुत गुस्सा था तुम्हे शोषण और व्यवस्था के खिलाफ
अब उसी का भागीदार हो गए हो।
उठाये लाल झंडा नैतिकता की बाते करते करते
आज जातीय धौंस और धमकी का तलबगार हो गए हो।
कभी नफरत थी तुम्हे जातिवाद और सवर्णवाद की
आज जातीय एक्ट का नाम ले फुफकार रहे हो।
संयोग से मिला है कलम हाथ में
फिर भी कलम में धार क्यों नहीं?
क्योंकि तुम्हारी कलम जकड़ी है राजनीति के जंजीरों से,
कुत्सित मानसिकता और दूषित विचारधारा से।
नेता हो,पत्रकार हो और दलित भी
अगर ये तुम्हारी श्रेष्ठता है, तो मुझसे ये कुण्ठा क्यों है।
मार दोगे, अखबार में छाप दोगे
और जातीय एक्ट में फंसा दोगे?
यहीं कहा था ना तुमने ?
आजमा लेना मुझे, देता हूँ चुनौती तुम्हें
तुम्हारे पास कलम है तो मेरे पास कलम की धार।
तुम्हारे पास जातीय एक्ट है
तो मेरे साथ मेरा स्वाभिमान है।
मेरे साथ मेरा स्वाभिमान है।।