*मेरे सरकार आते हैं (सात शेर)*
मेरे सरकार आते हैं (सात शेर)
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1
भटकते रहते कस्तूरी-हिरन जैसे ही जंगल में
मिले तुम से,शुरू फिर हो गईं खुद से मुलाकातें
2
फरिश्ते-स्वर्ग-आत्मा-यह पुनर्जन्मों की सब बातें
दुआ करना मैं इस ही जन्म में इनको समझ जाऊँ
3
तुम्हारे संग की मस्ती, तुम्हारे संग का जादू
किताबें सिर्फ पढ़ने से ये सौगातें नहीं मिलतीं
4
मैं जिससे बात करता हूँ वो जिसको मैं बुलाता हूँ
न कोई जानता उसको, न मैं ही जानता हूँ कुछ
5
नहीं होती है वह खुशबू किसी भी इत्र की लेकिन
महकती हैं दिशाऍं, जब मेरे सरकार आते हैं
6
जो सीखे प्यार के हम ढाई अक्षर हैं सिवा उसके
हमें लिखना नहीं आता, न हम कुछ सीखना चाहते
7
सुबह हर रोज जाते हैं सफर पर मस्तियाँ करने
अगर सब ठीक चलता है तो हम होंगे नहीं बूढ़े
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451