मेरे सपनों में आकर
परेशान क्यों होते हो
मेरे सपनों में आकर अक्सर
तुम क्यों रोते हो
जीवन से कहते हो कि
तुम हार गये
कंधे पर मेरे अपना सिर रखकर
फूट-फूटकर रोते हो
जिंदगी क्या
तुम्हें तो मौत भी नहीं हरा पाई
तुम मेरी यादों में हर पल
जिंदा हो
तुम मेरे लिए
मत भटकाओ अपनी
रूह को
उसे तकलीफ मत दो
खुद को सजा मत दो
मैं बहुत बहादुर हूं
तुम्हें दिल में संजोकर
तुम्हारे बिना रह लूंगी
तुम भी सीख लो
मेरे बिना
जीना अब
मेरी चिंता बिल्कुल मत करो
मैं बिल्कुल ठीक हूं
तुम भी जहां कहीं हो
अच्छे से रहो लेकिन
हां मेरी आखिरी सांस तक
मेरा दामन थामे रहो और
मुझसे मन के संवाद की
अनंत यात्रा
जारी रखो।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001