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28 Jun 2020 · 1 min read

मेरे सपने मेरे वश हों

मेरे सपने मेरे वश हों
*****************

हो रहा देखो अस्त रवि
तम में श्यामल है छवि

स्वप्न जो देखे थे रात में
सच होने थे प्रभात में

दिन अब बीतने को है
ख्वाब भी टूटने को हैं

अन्धेरा छाने वाला है
मन घबराने वाला है

मैने मन में यह ठाना है
समय नहीं गवाना है

अरमान बिखरने न देंगे
सपने भी टूटने ना देंगे

अस्त हुए सूर्य लाली में
सपने सजाने थाली में

चाँद तारे फैले गगन में
बिखरे स्वप्न मेरे मन में

एकत्रित करने ज़ार में
दर्पण रूपी संसार में

रजनी में फिर देखूंगा
सुबह उन्हें मैं सोचूंगा

प्रयत्न करुंगा सच हों
मेरे सपने मेरे वश हों
*****************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
2 Comments · 409 Views
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