मेरे सनम
मेरे सनम
तुम मेरे सनम
बस मेरे ही सनम।
जी रहा हूं बिन तेरे ही सनम
कब आओगी तुम मुझको मिलने सनम।।
जब से तुमने मुझे है छोड़ा सनम
बहुत याद आती हो तुम मुझको सनम ।
प्यार इतना किया है तुमको हमने सनम
चाहूं इतना की चाहूं किसी को भी ना।।
क्यूं की तुम ही हमारे हम सफर हो सनम
मैं भी तुमको चाहता हूं सनम।
पहले किए वादे की हम साथ छोड़ेंगे न सनम
जब तुमने मुझको दे दिया है धोखा सनम।।
जब मैं निकला था वहां से,
जहां पर थे हम मिले सनम।
मोहब्बत इतनी हुई की अब हम,
बनेंगे तुम्हारे हमसफर हम सनम।।
स्वरचित रचना
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव ✍️✍️