मेरे सखा
मेरे सखा!
मित्र!मेरे प्यारे-प्यारे,
साथ हमेशा तू रहना |
सुख-दु:ख आए-जाए,
दो बोल स्नेह के नित कहना ||
सखा मेरे तू साबुन बनकर ,
धो देना इस मन के दाग |
पानी जैसा निर्मल बनकर,
तू हर लेना मेरा आप ||
कहीं बनूँ मैं,घोर आलसी,
तू मेरी ऊर्जा बन जाना |
घिस जाऊँ मैं कर्म के पथ में ,
तू मेरा पुर्जा बन जाना ||
मतलब का ग़र बनू सारथी,
तू मेरा घोड़ा बन जाना |
सुपथ दिखाने मेरे यारा ,
तू काजी हथौड़ा बन जाना ||
राहें बनना,मंजिल बनना ,
तू कश्ती साहिल बन जाना |
न मानूँ ग़र प्रीत मनुहार ,
तू दोषों का कातिल बन जाना ||
दु:ख भी दूँगा,दर्द भी दूँगा ,
कभी चैन से जीने न दूँगा |
मगर, सखा ! मेरे प्यारे सुन,
कष्ट का विषय पीने नहीं दूँगा ||
कभी ना छोड़ूँ तेरा हाथ ,
मैं तेरा हमराही हूँ |
सुख के मीठे आम हैं तेरे,
मैं तेरी अमराई हूँ ||
तेरे हिस्से आया गरल-ग़म ,
एक घूँट में ही पी लूँगा |
तन्हा कर दे जग मुझसे ,
मैं तेरे संग ही जी लूँगा ||
गिर जाऊँ मैं बीच राह में ,
मेरे दोस्त उठा लेना |
भटक जाऊँ जीवन की डगर तो,
सही राह पर ले चलना ||
लोक-विपद में पडूँ अकेला ,
तू बन जाना तारणहार |
मैं तेरा बनकर हमसाया ,
चलूँ खुशी से मेरे यार ||
छल-छद्मों के पास न जाना ,
मित्र -घात न करना यार |
“मौज” तेरा,तू मेरा भरोसा ,
बढ़े हमेशा ,अपना प्यार ||
विमला महरिया “मौज”