मेरे श्याम प्यारे
मेरी हर सांस है , कर्जदार आपकी , ओ मेरे श्याम प्यारे
मेरी हर आवाज का आगाज आप ही हो श्याम प्यारे
टूट कर साँसों कि यह लड़ी, जोड़ी आपने ही श्याम प्यारे
कर दो मझदार से बेड़ा पार, ओ मेरे श्याम प्यारे !!
तेरी मुरली कि तान सुन कर गोपियन सुध भूल जाती हैं
मेरी भी तो आत्मा , तुझ से मिलने को फडफडाती है
कब देखूँगा वो मनमोहक मिलन का चित्रण आपका
मेरी तो धडकन , आपको सुबह शाम बुलाती है !!
कब आओगे मोरे श्याम, अखियन मुझ से पूछ जाती हे
में तो डूबा हुआ हूँ घोर कलयुग में,यह मुझ को बताती हैं
मेरे जीवन के खेवैया, तुम ही तो हो ,मेरे श्याम प्यारे
आकर इस जीवन कि प्यास को बूझो, मेरे श्याम प्यारे !!
वो समय था जब, दूध कि नदियन बहा करती थी तोरे अंगना
आज के समय में उस दिन को तरसे मेरे भी घर का अंगना
तेरा बंसी बजाना, तेरा नटखट गाये घुमाना, लगता था अंगना
आज कलियुग में तरसे तुझे मिलने को मेरा ,कोई मेरे न संगना !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ