मेरे लहज़े मे जी हजूर ना होता
मेरे लहजे मे जी हज़ूर ना था,
इससे ज्यादा मेरा कसूर ना था।
अगर मेरे लहजे मे जी हज़ूर होता,
मैं भी कहीं उच्चे ओहदे पर होता।।
अच्छा किया किसी की चापलूसी नहीं की,
किसी से मैंने कोई भी कानाफूसी नहीं की ।
अगर मैं भी किसी की बददुआ लिए होता,
इस जीवन मे आज इतना सफल न होता।।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम