** मेरे मासूक को **
मत मनहूश कह मेरे मासूक को
दर्देदिल ना कह मेरे मासूक को
बड़ा मासूम है मेरा दिलबर यारों
दर्दे इल्ज़ाम ना दो मेरे मासूक को ।।
क्या ख्वाब ले रही है वो
हो कर दुनियां से बेखबर
प्यार भरी निगाहों से देख रही है
किसके सपने सुहाने प्यार की चाह में
हमसफ़र के लिए क्या सोचती वह ।
?मधुप बैरागी