मेरे मालिक मेरी क़लम को इतनी क़ुव्वत दे मेरे मालिक मेरी क़लम को इतनी क़ुव्वत दे ज़मीं पर अभी हूँ आसमां छुआ तो नहीं है। डॉ तबस्सुम जहां