-: मेरे महबूब तुम सदा मुस्कुराना :-
मेरे महबूब मुझे न भुलाना,
ख़ुशी हो या गम सदा मुस्कुराना,
उस परिंदे के हाथो भेजेंगे ख़त,
जिसे भूल गया हो जमाना,
मेरे महबूब तुम सदा मुस्कुराना……..
तुमको देखकर हम भी मुस्कुराएंगे,
तुम बैठकर सुनना हम ग़ज़ल सुनायेंगे,
हम हर बात पुरानी याद कराते है,
तुम हमको याद दिलाना,
मेरे महबूब तुम सदा मुस्कुराना……..
जमाने की एक दिवार है,
इश्क पे चली हमेशा तलवार है,
इस बात को तुम समझ लो,
है चार पल का ये दोस्ताना,
मेरे महबूब तुम सदा मुस्कुराना……..
दुनिया का है इतना फसाना,
हमको तो है एक रोज़ जाना,
चले जाएगे हम तसल्ली से,
मगर तुम अश्क न बहाना,
मेरे महबूब तुम सदा मुस्कुराना……..
तुम अपने आप को संभालो,
हम खुद को संभालेगे,
तुम गर कहो तो,
हम खुद को मिटा देंगे,
पछतायेगा फिर, ज़ालिम जमाना,
मेरे महबूब तुम सदा मुस्कुराना……..