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19 Sep 2021 · 1 min read

मेरे भीतर की दुनिया

कभी लगता है
यह दुनिया मेरी है
कभी लगता है
मैं खुद की भी अपनी नहीं
खुद से हूं पराई
बाहर कुछ बदलता हो या
न बदलता हो लेकिन
मेरे भीतर की दुनिया में
पल पल बहुत कुछ
परिवर्तित होता रहता है
तभी तो कभी कभी
हम दोनों के बीच
सामंजस्य स्थापित नहीं
हो पाता
जहां दिखता है मुझे
थोड़ा सा स्थायित्व
मैं तो एक चुम्बक की
भांति उसी स्थान पर खींची
चली जाती हूं।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
370 Views
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