मेरे बिन
वो चिंता मे
बेचैन हो रहा था
दिन में चैन
न रात को सो रहा था…..
क्या होगा इस जहां का,
इस धरती का…..
और आसमान,
वो तो गिरकर
टूट ही जायेगा….
सूरज बुझ जाएगा
नदियां सोग मनाएंगी
मेरे बिन….
पर आज वो
एकदम शांत हो गया
उसका घर भी
चंद रोज़ बाद
वैसे ही मुस्करा
रहा था….
गीत खुशी के
गा रहा था….
उसी रफ्तार से
आगे जा रहा था
जैसे उसके साथ