मेरे बाद
जब तुम पढ़ रही होगी खत मेरा….
तब तक जल चुका होऊँगा मैं,
तुम रोना नहीं जानती…
पर अपनी आँख का पानी रोक न
पाओगी तुम,
इसलिए तुमको बताया नहीं मैंने,
कब तक अपने ज़ख्म को अपने
दर्द को तुमसे छुपाता मैं,
तुम जान ही जातीं तो उदास
हो जातीं, पर तुमको उदास और
रोता मैं नहीं देख पाता,
इसलिए चुपचाप चला गया, जानता
हूँ तुमको को धोखा दिया साथ निभाने का
वादा कर तुमसे, बिच राह इस दुनिया में
अकेला छोड़ गया तुमको.…
पर क्या करता बस 4 दिन ही मिले थे मुझे,
पर चाँद के ऊपर जो वो सबसे चमकता तारा है
न वो अब मेरा नया घर है, बस वहीँ से तुमको
निहारा करूँगा,
कभी अपने को अकेला महसूस मत करना मैं
ठीक तुम्हारे सामने ही रहूँगा, बस दिन में ही न
मिल पाऊंगा, और हाँ अपनी खिड़की हमेशा खुली
रखना जिससे तुम्हें सोते हुए मैं तुमको देखा करूँ,
मैं जानता हूँ, तुम नींद में मुस्कुराती बहुत अच्छी लगती हो, चलो अपना ख्याल रखना सखी….!
सौरभ शर्मा