मेरे बस्ती के दीवारों पर
मेरे बस्ती के दीवारों पर
तुम यूँ मुक्कमल चाँद की तस्वीरे
मत सजाया करो…
ये सारे भूख से
बिलगते बच्चे रोटी के आस में
रात रात जागते रहते है…
आप मंच पर खडे होकर
भूख पर मत बोला करो…!
ये बस्ती तुम्हारे किये गए
वादो पर यकीन कर लेती है
आँखे मूँदकर भूखे पेट…
‘अशांत’ शेखर
30/11/2023