मेरे बसंत मन
तुलसी के घरौंदे में
पतझड़ बिखरा है
तुम्हारा खुश मिज़ाज न होना
हर किसी को अखरा है ।
सकारात्मक उर्जा का स्रोत होता है
तुम्हारा कुछ कहते रहना
हँसमुख प्रफुल्लित हो कर
लिखते रहना |
प्रिय…….. हो
सबके……लिए ।
उपरोक्त दो शब्दों के दो जोडे
केवल तुम्हारे लिए |
उठो जागो
मनस्क बन
मन से पतझड़ झाड़ो
मेरे बसंत मन ।