मेरे बच्चे
मेरे बच्चे ,
तुझे पता हैं तू कौन हैं
तू मेरी सुबह की चाय का प्याला हैं
जिसे पी के मेरा दिन बन जाता हैं
और बिन पिए सर मेरा चकराता हैं
तू मेरे दोपहर की झपकी सा हैं
जिसे झप्पी पाकर मेरी थकान उतर जाती हैं
शरीर में एक तरो ताजगी आती हैं
तू तो मेरी शाम की दिया बाती सा हैं
जिसे करने कदम मेरे तेज हो जाते हैं
कहीं भी हो शाम जल्दी लौट आते हैं
तू मेरी रात की प्रार्थना सा हैं
जिसके बिना दिल को चैन नहीं आता
दिल गहरी नींद सो नहीं पाता
मेरे बच्चे तू मेरी सांसों सा ही तो हैं
जिसे एक पल छोड़ती हूं
और अगले ही पल ले लेती हूं
मेरे बच्चे तू मेरी यादों सा ही है
जिसे याद कर हम मुस्कुराते है
कितने भी हो मसरूफ़ हो हम मगर
फुरसत में तुझे सबसे पहले फ़ोन लगाते हैं
दीपाली कालरा