मेरे बचपन से (संस्मरण )
बचपन मैं सभी बच्चों की तरह मुझे भी कहानी सुनने का बड़ा शौक था । खुशकिस्मती से मुझे कहानी सुनाने के लिये घर में अनेक लोग थे जैसे दादा दादी ,माता पिता ,भाई, बहन । ननिहाल जाते तो वहाँ नाना नानी ,मामा ,मौसी । कहीं भी हम होते रात को किसी न किसी से कोई न कोई मजेदार कहानी या कहानियां सुनकर ही सोते। मैं जब थोड़ा बड़ा हुआ और पढ़ना सीख गया तो अखबार और पत्रिकाओं में बाल साहित्य पढ़ने लगा । इस तरह पढ़ने लिखने का शौक लगा ।
स्कूल के दिनों में छुट्टियाँ खेलने कूदने और कोमिक्स , बाल पत्रिकाओं में छपने वाली कहानियाँ , कवितायें या बाल उपन्यास पढ़ने में बीतता था। नन्दन ,लोटपोट, चंपक ,चन्दामामा कुछ नाम अभी भी याद हैं।