मेरे प्रभु राम आए हैं
आज चराचर के स्वामी
अपने ही धाम आए हैं।
मनाओ फिर से दीवाली
मेरे प्रभु राम आए हैं।
मेरे सोए भाग हैं जागे
आज खड़े केवट से आगे।
कैसे करूं मैं अगवानी
आंखों में है पानी पानी।
अश्रु जल से चरण पखारूं
अपने मन को और निखारूं।
मैं हूं प्रभु तेरी दीवानी
क्या दूं प्रभु को अमिट निशानी?
सरयू तट भी मुस्काए हैं।
मनाओ फिर से दीवाली
मेरे प्रभु राम आए हैं।
पंच शत वर्षों का इंतज़ार
छलका है कण-कण से प्यार।
हो रहे ह्रदय भाव विभोर
नाच रहे सबके मन मोर।
धन्य हो गई भारत- भूमि
पाकर अयोध्या सी नगरी।
ऑंगन-ऑंगन दीप जले हैं
नारी-नारी हुई शबरी।
सब ने घर द्वार सजाए हैं।
मनाओ फिर से दीवाली
मेरे प्रभु राम आए हैं।
मगन हुए हैं मिथिलावासी
झूम रहे कैलाश व काशी।
यम-नियम पाल रहे विश्वासी
राम मय सब साधु संन्यासी।
हो रहा अनूठा शंखनाद
फैला है हर और सौहार्द।
गूंज रहा एक ही निनाद
जय श्री राम जय सियाराम
के अमर तराने गाए हैं।
मनाओ फिर से दीवाली
मेरे प्रभु राम आए हैं।
प्रतिभा आर्य
चेतन एनक्लेव अलवर
राजस्थान