मेरे प्यारे बच्चों
मेरे प्यारे बच्चों
मैं जानता हूं की
अब तुम बड़े हो रहे हो
जीवन तो हमेशा परीक्षा लेता ही है
पर तुम पहली बार दसवीं की परीक्षा दे रहे हो
तुम में से कोई काफी डरा होगा
तो किसी को ये काफी मुश्किल लग रहा होगा
पर सच कहूं तो
जो दसवीं कक्षा के पहले दिन से
इस दिन का इंतज़ार कर रहा होगा
उसको तो ये क्षण काफी रोमांचित कर रहा होगा
मैं जानता हूं
तुमने अब तक क्या पढ़ा और क्या छोड़ा
कितने अंक लाए और कितनी शाबाशी पाई
पर विश्वास करो की अच्छे अंक लाना
सफलता का कोई पैमाना नहीं
यहां जीतता वही है जो रुकना नहीं जानता
इस परीक्षा को तुम एक पड़ाव की तरह लो
थोड़ा सा सीख कर अपनी धार और तेज करो
डियर बच्चों
शायद तुम नहीं जानते
तुम्हारे जाने के बाद भी
स्कूल तुम्हारा इंतज़ार करेगा
तुम्हें रोज बड़ा होते देखा है न
तुम्हारे स्कूल ने
प्राइमरी ग्राउंड के सामने वो बरगद का पेड़
जहां तुम अपना टिफिन खाते थे
वो तुम्हें बहुत बड़ा होते एक दिन जरूर देखेगा
तुम्हारे टीचर्स को जब तुम्हारी सफलता की खबर मिलेगी
सोचो जरा.. उनके लिए वो दिन कैसा होगा
डियर बच्चों
मैं जानता हूं
की कई मौकों पर हमने तुम्हें बहुत डांटा होगा
कभी तो बिना कारण के पीटा भी होगा
तुम उस दिन अपसेट रहे होगे काफी
तुमने गुस्से में शायद अपने दोस्तो के बीच
हमें बुरा भला भी कहा होगा
हमारा कुछ अलग सा नाम भी रखा होगा
पर विश्वास करो
कोई टीचर ऐसा नहीं
जो तुम्हारी परवाह न करता हो
खैर तुम में से कल कोई टीचर बन गया
तो शायद समझ पाए
की कोई टीचर अपने स्टूडेंट्स से कितना जुड़ा होगा
तुममें से शायद कोई हमसे दुबारा नहीं मिलेगा
कोई मिलेगा भी तो शायद हम पहचान नहीं पाएं
पर इतना समझ लो क्लास खत्म हो जाने से
कोई भी बच्चा अपने टीचर से अलग नहीं हो जाता
तुम दूर जा रहे हो ,अपनी नई यात्रा पर
पर तुम्हारा टीचर तुमसे कभी दूर नहीं हो सकता…
अभिषेक राजहंस