मेरे पिता
पिता हैं तो मुझे
सारा आसमान अपना लगता है।
दुनिया की हर चीज,
हर सामान अपना लगता है।
जन्म मां ने दिया हमको
पिता ने जीना सिखाया है।
गलत और सही में हमें,
फर्क करना सिखाया है
पिता से हम बच्चों के सारे
अरमान पूरे होते हैं,
सारी खुशियां सारे सपने
साकार होने लगते हैं,
वो डांटते हैं तो मुझे उनमें
उनका प्यार झलकता है,
उनकी सख्ती में भी
नरमी का एहसास दिखता है,
उनका एहसास भी
मेरे लिए उनका आर्शीवाद है
मेरे लिए मेरे पिता मेरे
भगवान हैं,
संघर्ष क्या होता है
ए मैंने अपने पिता से सीखा है,
अपने ग़म छुपाके बच्चों की खुशी में
मुस्कराते देखा है
मेरे पिता और पिता समान ससुर जी को समर्पित मेरी एक कविता ।
रूबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ