मेरे पापा
मेरे सपनों के खरीदार , खड़े हैं पापा बीच बाजार ।
अपनी खुशियां रख उधार, खड़े हैं पापा बीच बाजार ।
ले कंधे पर पूरा परिवार , खड़े हैं पापा बीच बाजार ।
उनकी इच्छायें लाचार, खड़े हैं पापा बीच बाजार ।
खरीदने को पुरा संसार, खड़े हैं पापा बीच बाजार ।
मेरे इकलौते हथियार, खड़े हैं पापा बीच बाजार ।
मम्मी के मेरे सृंगार, खड़े हैं पापा बीच बाजार ।
आंखों पर चश्मे का वार , खड़े हैं पापा बीच बाजार ।
उनके सहमे सब व्यवहार, खड़े हैं पापा बीच बाजार ।
सहते शब्दों के तलवार, खड़े हैं पापा बीच बाजार ।
जीते मरते रोज सौ बार , खड़े हैं पापा बीच बाजार ।
रिटायर्ड हो गए वो किरदार,खड़े हैं पापा बीच बाजार ।
मेरे सपनों के खरीदार , खड़े हैं पापा बीच बाजार ।
✍ धीरेन्द्र पांचाल