मेरे पथिक सून
ओ पथिक मेरे पथिक सून
सांझ का ये रास्ता है
रात काली और घनी है
मेरा तुझको वास्ता है
कल सवेरा हो तो जाना
लौट कर फिर तुम न आना
आज का खटका है मुझको
कह रहा हूँ तभी तो तुझको
झूठ का सच कह रहा हूँ
सच को झूठा कह रहा हूँ
इसमे मेरा क्या भला है
ओ पथिक मेरे पथिक सून
सांझ का ये रास्ता है
आगे पथ से अनजान है तू
इस शहर में मेहमान है तू
चार पहर की रात है ये
इतनी खामोशी आज है ये
हो न जाए कुछ अनहोनी
जीत तो है सच की होनी
उस पे मेरी आस्था है
ओ पथिक मेरे पथिक सून
सांझ का ये रास्ता है