मेरे देश का कुछ ऐसा हाल है !
मेरे देश का कुछ ऐसा हाल है,
हर रोज़ इक नया बवाल है।
बहुत मजबूत सरकार है,
और जनता हो रही दरकिनार है ।
सवाल पूछने का अब अधिकार नहीं,
क्योंकि देशभक्तों को ये स्वीकार नहीं ।
स्कूल कॉलेज पर अब नहीं कोई चर्चा है,
और मंदिर के चंदे का हर घर मे पर्चा है।
हिंदू मुसलमान एक ये बात पुरानी है ,
इतिहास में हो रहा सुधार अब नई कहानी है ।
पेट्रोल डिजल महंगे हुए इसमे क्या बात है ,
हर चुनाव में जनता तो सरकार के साथ है ।
शिछा स्वास्थ नौकरी ये सब बेकार फंसाना है,
हम सबको मिलकर हिंदू राष्ट्र बनाना है।
TV चैनल और अखबारों ने भी सुझाव अब मान लिया,
सरकारी फरमान ज़ोर ज़ोर से पढ़ना ये अब जान लिया ।
किसान बेवकूफ हैं बेवजह नाराज हैं,
कानून ही तो बना है कौन सी नई बात है ।
मूर्ख हैं अर्थशास्त्री जो सवाल उठा रहे हैं,
मान लो सब ठीक है जब प्रधानमंत्री बता रहे हैं।
कुछ पागल तो साशन कि कमिया गिना रहे हैं,
इन्हें समझाओ अब तो हम विश्वगुरु कह ला रहे हैं।
तुम्हे नहीं दिख रहा तो तुम्हारी आँखों का दोष है,
हो रहा इतना विकास देखो कितना जोश है।
रोजगार नहीं है तो अपनी दुकान चला लो,
आत्मनिर्भर बनो और सरकारी सलाह लो।
सरकार गलत हो ही नहीं सकती ये बात अब जान लो,
तुम्हारे सब सवाल बेकार हैं ये अब मान लो।
मेरे देश का भैया यही अब हाल है ,
झूठी मुस्कान है और सब बदहाल है।