मेरे दिल में शिकायत नहीं है |
ग़ज़ल
मेरे दिल में शिकायत नहीं है |
तू मेरी अब इबादत नहीं है ||
खींच खाके बसर क्यों करुँ मैं |
दिल में मेरे सियासत नहीं हैं ||
मेरा मुमकिन नहीं लौट आना |
तुझ से कोई अदावत नहीं है ||
आज जीस्त खिजा में रही जी |
ये किसी की शरारत नहीं है ||
बैठ तन्हा “मनी” सोचना तुम |
इश्क तेरा तिजारत नहीं हैं ||
मनिंदर सिंह मनी