मेरे दिल में जो है
मेरे दिल में जो है तुमको वो बताऊँ कैसे
दिल की सरहद से ज़ुबाँ तक इसे लाऊँ कैसे
एक तस्वीर जिसे दिल में छुपा रक्खा है
चीरकर दिल को वो तस्वीर दिखाऊँ कैसे
एक बेनाम सा रिश्ता है अभी तक तुमसे
इस हक़ीक़त को छुपाऊँ तो छुपाऊँ कैसे
प्यार ने लूट लिया है मेरा सब सब्र-ओ-क़रार
जान मुश्किल में है मैं ख़ुद को बचाऊँ कैसे
ज़िन्दगी जश्न-ए-मुहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं
पर, तिरे बिन मैं कोई जश्न मनाऊँ कैसे
शिवकुमार बिलगरामी