मेरे दर्दो गम की कहानी न पूछो
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मेरे दर्दों गम की कहानी न पूछो ।
मुहब्बत की कोई निशानी न पूछो ।।
बहुत आरजूएं दफन मकबरे में ।
कयामत से गुजरी जवानी न पूछो ।।
मुझे याद है वो तरन्नुम तुम्हारा ।
ग़ज़ल महफ़िलों की पुरानी न पूछो ।।
हुई रफ्ता रफ्ता जवां सब अदाएं ।
सितम ढा गयी कब सयानी न पूछो ।।
बयां हो गई इश्क की हर हकीकत ।
समन्दर की लहरों का पानी न पूछो ।।
सलामी नजर से नज़र कर गयी थी ।
वो चिलमन से नज़रें झुकानी न पूछो ।।
मुलाक़ात ऐसी न कुछ कह सके हम ।
रही बात क्या क्या बतानी न पूछो ।।
— नवीन मणि त्रिपाठी