मेरे जीने के लिए अब न कोई दुआ किजिए।
मेरे जीने के लिए अब न कोई दुआ किजिए।
उसे जल्द अलविदा कहूं ऐसी दवा कीजिए।।
बहुत जी लिया हूं यारो गम के साए में हमने।
मुझे जश्न मनाकर इस जहां से रिहा कीजिए।।
उसकी मुहब्बत का एकतरफा गुनहगार हूं मैं।
बेवफा बनकर आप भी यही खता कीजिए।।
उसकी खामोशी मेरे जख्म को भरने नहीं देती।
आप जी भरकर मेरे हालात पर हंसा कीजिए।।
दुश्मन भी मेरी बर्बादी पर रोज आंसू बहाते है।
आप अपने होकर रोज-रोज न लुटा किजिए।।
———- Ravi Singh Bharati ———–
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