मेरे जज्बात
मेरे जज्बात
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जब भी देखता हूँ मैं तुझे
मेरा दिल भर आता है
कितनी खुशमिजाज है तू
कितनी खूबसूरत है तू
कितनी दिलकश है तेरी सादगी
मुझसे बेहतर कौन जानता है
चाहते तो सभी होंगे तुझे
मुझसे बेहतर कौन तुझे चाहता है
तेरी उदासी से डरता हूँ मैं
इसिलिये तुझे खुश रखता हूँ
तेरी आवाज डगमगाती है
मैं बेचैन हूँ जाता हूँ
तू मुस्कुराती है
मैं मुस्कुराता हूँ
मैं नहीं जानता
तू मुझे कितना समझती है
मुझे लगता है
मैं तेरी हर धड़कन को समझता हूँ
तू मेरी हर धड़कन में बसती हैं
यूँ तो मैं हर वक़्त सांस लेता हूँ
लेकिन बस तेरे ही साथ जीता हूँ मैं
जी लेना चाहता हूँ हर पल को तेरे संग
पा लेना चाहता हूँ हर अधूरी ख़ुशी
दे देना चाहता हूँ खुशियाँ तुझे भी
जो तुझे कभी मिली ही नहीं
मुझे पता है तू हासिल नहीं मुझे
फिर भी तुझे खोने से डरता हूँ
मेरा एहसास है तू
मेरे लिए बहुत खास है तू
एक छोर अगर मैं हूँ ज़िन्दगी का
इस डोर का दूसरा छोर है तू
“सन्दीप कुमार”