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20 Jul 2024 · 1 min read

मेरे गुरु जी

पथ प्रदर्शक मेरे गुरु जी

बिन गुरु ज्ञान कहाँ मिलता है,गुरु ही दैवी तत्व।
बड़े भाग्य से गुरु दर्शन हो,विकसित शिव पुरुषत्व।।

गुरु त्रिदेव भगवान सदा हैं,देते दिव्य प्रकाश।
गुरु प्रसाद जिसको मिलता है,चुमे वह आकाश।।

तिमिर भगाते गुरुवर प्रियवर,हरते सारे खेद।
सहज पढ़ाते आजीवन वे,महा काव्य प्रिय वेद।।

बतलाते हर बात प्रेम से,देते अमृत ज्ञान।
गुरु से बड़ा नहीं है कोई,गुरु हीरा की खान।।

बिगड़े सारे काम बनाते,हरते
सारे कष्ट।
राह दिखाते आगे-आगे,बात बताते स्पष्ट।।

रुक रुक रुख कर अंगुलि पकड़े,दिखलाते संसार।
सदा सत्य का मर्म बताते,मानवता का सार।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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